दक्षिण अफ्रीका की सोने की खदानों में भूख, अवैध खनन और नरभक्षण की भयावह कहानी
भूख से बचने के लिए खनिकों ने अपनाई खौफनाक राह
दक्षिण अफ्रीका में अवैध खनन के कारण हालात इतने भयावह हो गए कि भूख से तड़पते खनिकों को अपने ही साथियों के शरीर के अंग खाने पड़े। पुलिस ने अवैध खनिकों को बाहर निकालने के लिए खाने-पीने की आपूर्ति रोक दी थी, जिससे खनिकों के पास जिंदा रहने के लिए कोई और रास्ता नहीं बचा।
अवैध खनिकों की अंधेरी दुनिया
दक्षिण अफ्रीका में सोने की लूट ने तस्करों को इतना बेखौफ बना दिया कि उन्होंने जमीन के नीचे लगभग एक किलोमीटर की गहराई में एक पूरा शहर बसा लिया था। यहां रस्सियों के जरिए लोगों और सामान को नीचे उतारा जाता था। लेकिन जब पुलिस ने खाने-पीने की सप्लाई बंद कर दी, तो स्थिति भयावह हो गई। भूख से बेहाल खनिकों ने अपने ही साथियों के अंगों को खाना शुरू कर दिया।
खदानों में नरसंहार का आरोप
हालात इतने बिगड़ गए कि जब बचावकर्मियों ने राहत अभियान चलाया, तो 78 शवों को बाहर निकाला गया और 246 लोगों को जीवित बचाया गया। इस दौरान कई खनिक इतने कमजोर हो चुके थे कि खुद से बाहर नहीं निकल सकते थे। पुलिस पर आरोप लगाया गया कि उसने जानबूझकर लोगों को भूखा मारने की साजिश रची। सरकार और यूनियनों ने इस मामले की गहन जांच की मांग की है।
सोने की हवस से बर्बाद होते जीवन
दक्षिण अफ्रीका की जमीन सोने, प्लैटिनम और अन्य बहुमूल्य धातुओं से भरपूर है। यहां 6000 से अधिक खदानें हैं, जिनमें से अधिकांश अब खाली पड़ी हैं। बेरोजगारी के कारण हजारों लोग इन बंद खदानों में अवैध रूप से सोना निकालने जाते हैं। हालांकि, यह काम बेहद खतरनाक होता है, क्योंकि इन खदानों में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होते।
सरकार ने झाड़ा पल्ला
दक्षिण अफ्रीका के खनन मंत्री ग्वेडे मंटाशे ने इस घटना पर कहा कि यदि लोग तीन महीने तक खुद को भूखा रखकर मरते हैं, तो इसमें सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है। हालांकि, इस बयान के बाद सरकार की जमकर आलोचना हो रही है।
1300 से अधिक खनिक निकाले गए
पुलिस के अनुसार, अब तक 1300 से अधिक खनिकों को बाहर निकाला जा चुका है। लेकिन इस दौरान अवैध खनन गिरोहों के कई बड़े सरगना पुलिस की गिरफ्त से फरार हो गए। इससे यह सवाल उठता है कि क्या भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे, या सोने की हवस में लोग यूं ही अपनी जान गंवाते रहेंगे?